भाजपा विधायक ने CM को लिखी चिट्ठी, ...तो राज्य, शरीर और धर्म का नाश हो जाता है
मध्यप्रदेश में कोरोना की बढ़ती रफ्तार और राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए बीजेपी विधायक ने सीएम शिवराज सह को चिट्ठी लिखी थी इस चिट्ठी के बाद बड़ी सियासी गर्मी के बीच फिर से विधायक ने एक और चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने साफ कहा कि उनकी कोई बात या सलाह को आखिरकार बगावत के रूप में क्यों लिया जाता है इस बार अंदाजे बयां कुछ और हैं। वे कह रहे हैं कि मेरी चिट्ठी, मांग या सुझाव को हमेशा बगावत ही क्यों समझ लिया जाता है। मैं तो अपनी बात रखता हूं। इसके तुरंत नीचे वे राम चरित मानस का एक दोहा लिख देते हैं- सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस। राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास। दोहे के जरिए गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि मंत्री, वैद्य और गुरु ये तीन यदि भय या लाभ की आशा से प्रिय बोलते हैं तो राज्य,शरीर एवं धर्म इन तीन का शीघ्र ही नाश हो जाता है।यह रावण, विभीषण संवाद से जुड़ा है। मतलब अगर मंत्री और सरकार, राज्य की प्रजा को नहीं देखेगा तो राज्य का नाश हो जाएगा। वहीं वैद्य का काम है शरीर को स्वस्थ्य रखना और गुरु का काम है धर्म की रक्षा करना। अगर ये तीनों अपने कार्य से विमुख हुए तो सबका नाश होना तय है। इस चिट्ठी ने फिर से त्रिपाठी की नाराजगी को उजागर कर दिया है।