बुंदेलखंड का प्रसिद्द जुगल किशोर मंदिर भगवान की मूर्ती में जड़े हैं हीरे जन्माष्टमी पर रहती है धूम
एमपी के पन्ना में प्राचीन मंदिर है जुगल किशोर मुरलिया जिसमें हीरे जड़े हैं। जन्माष्ठमी के दिन जुगल किशोर जी मंदिर में हीराधारी भगवान के दर्शन पाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। ये मंदिर काफी प्राचीन और अनूठा है। भगवान का जन्म होते ही भक्त खुशी से झूम उठते हैं। यह लोक भजन बुंदेलखंड के हर गांव और घर में हर शुभ काम में गाया और बजाया जाता है यह लोक भजन पन्ना के ऐतिहासिक जुगल किशोर जी मंदिर की महिमा से जुड़ा हुआ है बुंदेलखंड के आराध्य देव श्री जुगल किशोर जी की महिमा निराली है कहते हैं जो भी श्रद्धा भाव से यहाँ वर मांगा जाता है सभी पूर्ण होते हैं तभी तो पूरे भारत भर के लोग यहां दर्शन करने आते हैं और भक्त भगवान की नयनाभिराम झांकी को देखकर अभिभूत हो जाते है। इस ऐतिहासिक अद्भुत मंदिर की परंपराएं भी निराली है कहते हैं भगवान जुगल किशोर जी के राज्य में कभी कोई भूखा नहीं सोता। इसीलिए भगवान को दोपहर का भोग 2:30 बजे और रात की बयारी आरती 10:30 बजे होती है जब सभी लोग दोपहर का भोजन और रात की बयारी कर चुके होते हैं इस मंदिर से भक्तों की कई कहानियां जुड़ी है जिसमें हिम्मत दास जी को प्रत्यक्ष दर्शन देना प्रमुख माना जाता है। श्री जुगल किशोरजी मंदिर का निर्माण पन्ना के चौथे बुंदेला राजा राजा हिंदूपत सिंह ने अपने शासनकाल के दौरान 1758 से 1778 तक किया था। किंवदंतियों के मुताबिक, इस मंदिर के गर्भगृह में रखी गई मूर्ति को ओरछा के रास्ते वृंदावन से लाई गई थी। स्वामी के आभूषण और पोशाक बुंदेलखंडी शैली को दर्शाते हैं। मंदिर में बुंदेली स्थापत्य कला से बनाया गया है। जिसमें एक नट मंडप, भोग मंडप और प्रदक्ष्णा मार्ग शामिल हैं।