मिनी मैहर के रूप में प्रसिद्ध है टिकीटोरिया जहां होती है हर मनोकामना पूर्ण
तेंदूखेड़ा जबलपुर मार्ग पर सागर जिले के रहली नगर से नगर से महज 3 किमी दूर टिकीटोरिया पर्वत पर मां सिंहवाहिनी का विशाल प्राचीन मंदिर स्थित है।देवी माता के इस मंदिर को मध्यप्रदेश में मिनी मैहर के रूप में जाना जाने लगा है। टिकीटोरिया के मुख्य मंदिर में अष्टभुजाधारी मां सिंह वाहिनी की नयनाभिराम प्रतिमा स्थापित है।जानकारों के अनुसार मंदिर का निर्माण लगभग 450 साल पहले हुआ था। मंदिर का निर्माण रानी दुर्गावती के द्वारा करवाया गया और मंदिर में पाषाण की देवी प्रतिमा की स्थापना की गई थी।प्राचीन पाषाण की प्रतिमा को किसी विच्छिप्त व्यक्ति ने खंडित कर दिया था।तब करीब 50 साल पहले पास के ग्राम खेजरा बरखेरा निवासी मातादीन अवस्थी और द्रोपतीे बाई के सौजन्य से सुरेन्द्र नाथ अवस्थी द्वारा संगमरमर की नयनाभिराम मूर्ति की स्थापना करायी गयी।विगत वर्षों यह प्रतिमा भी खंडित हो गई उसके वाद अष्टभुजाधारी सिंहवाहिनी माता के साथ सरस्वती माता और लक्ष्मी माता की विधिविधान के साथ प्राणप्रतिष्ठा की गई।कहते हैं टिकीटोरिया माता के दरबार मे की गई हर मनोकामना पूर्ण होती है ऐसी मान्यता है।पूर्व काल मे यह वीरान था पर्वत शिखर तक पहुँचने के लिए सीढियां नही थी।लगभग 20 साल पहले माता के भक्तों और जागरूक नागरिको के द्वारा टिकीटोरिया जीर्णोद्धार समिति का गठन किया गया।समिति के अथक प्रयासों से इस क्षेत्र के कायाकल्प कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है।जिस कारण टिकीटोरिया की आज दूर दूर तक ख्याति है।माता के दर्शन करने पूरे वर्ष श्रद्धालुओ का तांता लग रहा है।