MP में अजीबोगरीब परंपरा रावण जलते ही अस्थियां मनाकर लकड़ियां बटोरकर ले जाते हैं लोग
क्या अपने कभी सुना है कहीं रावण दहन हुआ हो और वहाँ के लोग जली हुई लकड़ियों को उठाकर अपने घर ले जाते है। ये अजीबोगरीब परंपरा एमपी के बैतूल में निभाई जाती है। ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से घर में धन की कमी नहीं होती। दरअसल विजयादशमी पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों का दहन हुआ था। कई जगह रावण की पूजा भी की गई। लेकिन बैतूल में दशहरे पर प्रचलित एक अनोखी प्रथा के बारे में शायद ही जानकारी हो। यहां रावण दहन के बाद उसकी जली हुई लकड़ी जिसे अस्थियां मान कर सहेजा जाता हैं। लोगों में इसके लिए होड़ सी मच जाती है। लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम में पिछले 64 साल से रावण, कुंभकर्ण के पुतलों का दहन श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति करती आ रही है। कार्यक्रम देखने हजारों लोग पहुंचते हैं। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं, जो रावण दहन और आतिशबाजी देखने आते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी लोग रहते हैं। जो रावण दहन का इंतजार करते हैं और जल रही लकड़ियां को लोग जमीन पर रगड़कर बुझाना शुरू कर देते हैं। इन लकड़ियों को ठंडा कर घर ले जाते हैं। और पूजन कक्ष में रख देते हैं। लकड़ी लेकर जाने वाली महिलाओं का कहना है। की रावण भगवान राम के हाथ मारा गया था और बहुत ज्ञानी था। इसलिए लोग उसकी अस्थियां प्रतीक के रूप में ले जाते हैं।