जिन बच्चों का लोग करते हैं तिरस्कार उन्ही बच्चों के बनाये दीये बिकेंगे MP के बाहर
किसी ने क्या खूब कहा है। कश्तियाँ सब की किनारे पे पहुँच जाती हैं नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है। दरअसल एमपी के बैतूल में दिव्यांग बच्चों ने बेरंग दीयों को ऐसा रंग दिया कि अब उनकी चर्चा होने लगी है। इन बच्चों ने 4000 दीयों को कलर से सुंदर बनाया है। इनके बनाए दीये छत्तीसगढ़ और भोपाल के अलावा कई और शहरों में भी गए हैं। इन रंग-बिरंगे सुंदर दीयों को किसी कलाकार ने नहीं सजाया बल्कि उन दिव्यांग बच्चों ने सजाया है। जो समाज से तिरस्कृत हो रहे हैं। जिस समाज को ऐसा लगता है कि दिव्यांग बच्चे कुछ नहीं कर सकते उन्हीं दिव्यांग बच्चों ने तैयार किये दियों से कई घरों की दीपावली रोशन होगी। बैतूल से 15 किलोमीटर दूर कर्ज गांव में स्थित दिव्यांग बच्चों का घरौंदा आश्रम जहाँ वर्तमान में मानसिक दिव्यांग और अस्थि बाधित लगभग 18 बच्चे हैं। इन्हे स्वराज स्वरोजगार से जोड़ने के लिए अनूठी पहल की जा रही है। इन सभी बच्चों ने 4000 दीयों को तैयार किया है। उनकी भी सप्लाई हाथों हाथ हो गई है। आश्रम में इन बच्चों को काम सिखाया जा रहा है इसी के तहत बच्चे रक्षाबंधन पर राखी बनाना होली पर टोपी और हर्बल गुलाल तैयार करना ऐसे और भी कई काम है जो बच्चे मन लगाकर सीख रहे हैं। प्रशिक्षण देने वाले दीपक अंबेडकर का कहना है। बार-बार बताने पर बच्चे सीख जाते हैं। आश्रम की संचालिका करुणा का कहना है इन बच्चों को समाज से जोड़ना चाहते हैं।