बड़े संकट के दौर से गुजर रही हैं कांग्रेस पार्टी,

 

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देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, कभी देश की सियासत का सिरमौर रही कांग्रेस, जिस कांग्रेस की तूती कभी पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण हर दिशा में बोलती थी. वही कांग्रेस आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. लोकसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के बाद करारी हार से निराश कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा दे दिया, तो पार्टी के नेता नया अध्यक्ष चुनने की बजाय उनकी मान-मनौव्वल में जुट गए.

 

एक महीने से अधिक समय तक चले मान-मनुहार के दौर के बाद आखिरकार राहुल माने भी नहीं और अब बिन कैप्टन के जहाज बन गई पार्टी को कर्नाटक, गोवा जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है. कांग्रेस नए अध्यक्ष के चुनाव के प्रति गंभीर भी नहीं. अब तक पार्टी का नया मुखिया चुनने के लिए या इस संबंध में चर्चा के लिए कार्यकारिणी की बैठक तक नहीं हुई.

 

अध्यक्ष पद से राहुल के जाने के बाद नेतृत्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस को लेकर अब यह कहा जाने लगा है कि यह संकट जल्द नहीं सुलझा तो पार्टी खत्म हो जाएगी.यह चर्चा आधारहीन भी नहीं. राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने से लेकर अभी तक के घटनाक्रम और कांग्रेस नेताओं के बयान इसी तरफ इशारा कर रहे हैं कि पार्टी आजाद भारत में अपने सबसे बुरे दौर गुजर रही है. गुलाम नबी आजाद ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा लग रहा है मानो कांग्रेस को खत्म करने के लिए ही भाजपा सत्ता में आई है.

 

जब पूरी पार्टी का ध्यान राहुल को मनाने पर रहा, पार्टी पदाधिकारियों में एक के बाद एक पद छोड़ने की होड़ लग गई. तो इन सबके बीच अध्यक्ष के बिन अनाथ कांग्रेस में अब जैसे टूट का सिलसिला भी शुरू हो गया.


By - sagar tv news
12-Jul-2019

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