पूर्व सीएम कमलनाथ का घट गया था सम्मान। जूनियर नेता उठाने लगे थे सवाल
कांग्रेस के बड़े चेहरे कमलनाथ के पाला बदलने से राजनैतिक गलियारों में कानाफूसी शुरू हो चुकी है। चारों ओर बस उनके ही चर्चे सुनाई दे रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही कि कमलनाथ कांग्रेस छोड़ने मजबूर हो गए। सियासत में रूचि रखने वालों की मानें तो कमलनाथ को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उन पर मप्र में विधानसभा चुनाव हारने का ठीकरा फोड़ दिया गया। उनसे बिना सहमति लिए पीसीसी चीफ का पद छीन लिया गया। इसके बाद लोग उनके दीदार को ही तरस गए।
करीब एक माह बाद अचानक से प्रकट होकर नाथ ने विधानसभा में शपथ ली। कई छोटे-बड़े नेताओं ने उनकी काबलियत पर सवाल उठाना शुरू कर दिए। इससे कमलनाथ के सम्मान में कमी नजर आने लगी। गांधी परिवार से चालीस साल के रिश्तों में यहीं से दरार पड़ गई। दूसरी तरफ भाजपा अपने कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में जुटी ही है। कमलनाथ नेता होने के साथ ही बड़े उद्योगपति भी हैं। लिहाजा उनकी राजनैतिक कमजोरियां भी हैं। ईडी, सीबीआई कांग्रेस नेताओं पर नजर जमाए है। कई राज्यों के सीएम तक उनके निशाने पर हैं। ऐसे में कमलनाथ के रडार पर होने से इंकार नहीं किया जा सकता। उनके बेटे नकुलनाथ भी मप्र में कांग्रेस से एक मात्र सांसद हैं। इस सीट को हथियाने भाजपा तरह-तरह की रणनीति अपना रही है। ऐसे में पिता-पुत्र को भाजपा ही महफूज
जगह हो सकती थी। इसलिए उन्होंने भाजपा नेताओं से नजदीकियां शुरू कीं। इसी से उनके भाजपा में जाने की अटकलें चलने लगीं। कमलनाथ के भांजे रतुलपुरी अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाॅप्टर घोटाले में आरोपी हैं। यह भी उनकी चिंता की वजह है। खुद कमलनाथ का नाम सिख विरोधी दंगों में लिया जाता है। मप्र के बहुचर्तित हनी ट्रेप कांड में भी पूर्व सीएम मप्र पुलिस के निशाने पर हैं। इस कांड की सीडी उनके पास होने का उनका बयान उनके गले की फांस बना हुआ है। सबसे बड़ी चिंता उन्हें बेटे नकुलनाथ के राजनीति में आगे के कैरियर की है। जिस तरह से कमलनाथ को पार्टी ने लूप लाइन में खड़ा किया उससे नकुलनाथ का भविष्य कांग्रेस में असुरक्षित लगने लगा था। युवा चेहरा सिंधिया, पायलट के उदाहरण सामने हैं। ऐसे में समय रहते नाथ ने कमल का दामन थामकर एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं।