भारत में COVID-19 के मामले भले ही नियंत्रण में बने हुए हैं। लेकिन इस बीच सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने जो रिसर्च की उसमें चौंकाने वाली बात सामने आयी है। जिसमें कुछ बच्चे अस्पष्ट हेपेटाइटिस और पीलिया के एक रहस्यमय स्पाइक से जूझते हुए मिले। ये सभी बच्चे ऐसे हैं जो या तो खुद या फिर उनके परिजन COVID-19 से पॉजिटिव पाए गए थे जिनमे ये लक्षण देखे गए हैं। बीएमसी की बायरोलॉजी लैब के प्रभारी डॉ. सुमित रावत की इस रिसर्च पर अब देश दुनिया में कई जगहों पर स्टडी हो रही है। देखिये ये पूरी रिपोर्ट।--------
दरअसल सागर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की एक टीम ने 2021 में अप्रैल-जुलाई से कोविड पॉजिटिव 457 बच्चों की जांच में 37 बच्चो में कोविड एक्वायर्ड हेपेटाइटिस (CAH) पाए। इसके अलावा 10 बच्चों में ज्यादा गंभीर दुर्लभ, मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन (MIS-C) पाया गया था। जो कई अंगों में सूजन से चिह्नित होता है। हालांकि पिछले दो सालो में भारत के कई इलाकों से कुछ एक रिपोर्ट सामने आई हैं। लेकिन देश में सिंड्रोम के पैमाने को मापने के लिए यह पहली व्यवस्थित जांच है।
बीएमसी के माइक्रोबायोलॉजी के प्रभारी डॉ सुमित रावत के मुताबिक हेपेटाइटिस के मामलों में एक अजीबोगरीब वृद्धि देखी। आमतौर पर मानसून की शुरुआत से हेपेटाइटिस के मामलों में बढ़ौतरी होती है। पिछले साल 2021 में इसे अप्रैल के महीने में पाया वो भी कोविड पॉजिटिव बच्चों में जिसमे ज्यादातर बच्चे कोविड से उबर चुके थे। इन बच्चों में CAH के लक्षणों में मतली, भूख न लगना, उल्टी, पेट में दर्द, कमजोरी, आंखों में पीलापन और हल्का बुखार शामिल हैं। इन 37 बच्चों में से सभी असामान्य रूप से ठीक हो गए। इसका मतलब है कि गंभीर हेपेटाइटिस जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, रीहाइड्रेशन, बुखार प्रबंधन और विटामिन के लिए नियमित इलाज लगभग सभी के लिए पर्याप्त थे। डॉ. सुमित रावत ने बताया की उनके सहयोगियों ने एपस्टीन बार वायरस, ऑटो-प्रतिरक्षा विकार और चिकन पॉक्स वायरस (वेरिसेला) के कारण होने वाले हेपेटाइटिस की कई संभावनाओं की जांच की। हालांकि जांच में कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन एक बात जो सामान्य थी वो थी इन "सभी बच्चों कोविड-एंटीबॉडी का होना"।
एंकर- वहीं डॉ. रावत द्वारा बच्चों में कोविड से जुड़े हेपेटाइटिस की स्टडी प्रकाशित होते ही भारत से बाहर कई देशों से ऐसी रिपोर्ट सामने आई।
डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते कहा था कि "अज्ञात मूल के हेपेटाइटिस" के 348 संभावित मामलों की पहचान की गई थी, और मुख्य संदिग्ध एक COVID-19 संक्रमण के साथ एक एडीनो वायरस था।
करीब 20 देशों ने मामले दर्ज किये थे।
साथ ही यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज एंड कंट्रोल ने अलर्ट जारी किया। जिससे चिंता बढ़ गई कि यह एक COVID-19 संक्रमण के कारण हो सकता है।
हालांकि हेपेटाइटिस का कारण एक रहस्य है, डॉ रावत कहते हैं की उनकी स्टडी प्रकाशित होने के बाद कई देशो के वैज्ञानिको ने उनसे संपर्क किया। और उन्होंने अपनी स्टडी उनसे साझा की। साथ ही बताया की टीकाकरण वाले बच्चों में ये संक्रमण कम थे और इसलिए छोटे बच्चों में कोविड टीकाकरण मददगार हो सकता है। इम्यून सिस्टम प्रतिरोधक क्षमता के कुछ गड़बड़ी के कारण यह इंफेक्शन बढ़ रहा है इस गड़बड़ी के लिए कोरोना वायरस इन्फेक्शन जिम्मेदार हो सकता है।-
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