निकाय चुनाव बना टेंशन 10 महीने में 18वीं बार कर्ज लेगी शिवराज सरकार
कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक संकट से जूझ रही मध्य प्रदेश सरकार नए साल में 1 हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार से ले रही है। पिछले साल अप्रैल से अब तक यह 18वां मौका है, जब सरकार को विकास कार्यों के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। करीब दो महीने बाद मप्र में नगरीय निकाय के चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में अटके हुए कामों को रफ्तार देने के लिए सरकार इसका सहारा लेगी। दरअसल, कोरोनाकाल ने आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी है, जिसके चलते नगर निगमों के अधिकतर काम फंसे हुए हैं। चुनाव से ठीक पहले सरकार कुछ बड़े शहरी प्रोजेक्ट चालू करा सकती है। केंद्र ने भी यही कहा है कि नगरीय निकायों से जुड़े सुधारों के साथ वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम काे लागू करने में भी इस राशि का उपयोग किया जाए।
इससे पहले 20 दिसंबर को 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज खुले बाजार से लिया गया था। बता दे की शिवराज सरकार अपने 10 माह के कार्यकाल में 17,500 करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है। इस तरह मप्र सरकार पर कुल कर्ज का बोझ 2 लाख 8 हजार करोड़ रुपए हो चुका है। बावजूद इसके सरकार मार्च 2021 तक 1373 करोड़ रुपए का कर्ज और ले सकती है। वित्त विभाग ने 1 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक कि मध्य प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार ने एक माह पहले खुले बाजार से 2,373 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दे दी है। नगरीय निकाय चुनाव से ठीक पहले केंद्र ने यह अनुमति देकर शिवराज सरकार को बड़ी राहत दी है। केंद्र की शर्त के मुताबिक राज्य सरकार को कर्ज की राशि का 50% नागरिक सुविधाओं में खर्च करना होगी। केंद्र ने कहा है कि नगरीय निकायों से जुड़े सुधारों के साथ वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम काे लागू करने में भी इस राशि का उपयोग किया जाए।