पहले एक लड़की ने बेटी होने के सारे फ़र्ज़ निभाए बीमार पिता की दिन रात सेवा की लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था उनकी जान नहीं बच सकी। तो बेटी ने पिता को मुखाग्नि भी दी। तस्वीरें दमोह जिले के हटा से सामने आयी हैं। जहाँ एक बेटी ने पिता के निधन के बाद न सिर्फ उन्हें कंधा दिया बल्कि शमसान पहुंचकर क्रियाक्रम भी किया। जानकारी के मुताबिक नगर के वरिष्ठ पत्रकार और कुरीतियों के खिलाफ हमेशा शंखनाद करने वाले समाज सेवी रवीन्द्र अग्रवाल का कोई बेटा नहीं था। इकलौती बेटी ही थी। जिसने अपने पिता को कभी बेटा न होने का अहसास नहीं होने दिया। पेशे से पत्रकार रहे रवीन्द्र अग्रवाल पिछले करीब दो महीने से गंभीर रूप से बीमार थे। जिनका इलाज जबलपुर में हो रहा था पिता के साथ माइक्रोबायोलांजी से पीएचडी की छात्रा सारिका अग्रवाल साथ में थी। पिता को बचाने हर संभव प्रयास किये जी जान से सेवा की। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। इसके बाद सारिका ने समाज के वरिष्ठजनों और पंडितों से विचार विमर्श कर अंतिम संस्कार के सारे क्रियाकर्म करने की इच्छा रखी। जिसे सभी ने सहमती दे दी। जिसके बाद उसने पिण्डदान, मुखग्नि, जलचाप और तिलांजलि जैसे काम भी कराये।
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