गरीबों के पास किसी फरिश्ते की तरह पहुंचते हैं ये युवा ढूंढ ढूंढकर खिला रहे गरीबों को खाना STVN INDIA
हमने न हिन्दू देखा न ही मुसलमान देखा बस भूखा इंसान देखा और निकल पड़े उनका पेट भरने की खातिर, बात सागर के उन युवाओं की जो बिना किसी दिखावे के जी जान से गरीबों जरूररमंदों को खाना खिलाने में जुटे हैं। जिन्हें तकरीबन चौबीस दिन बीत चुके हैं। शहर के ही युवा अभिलाष शालू सेंगर जिन्होंने कोरोना महामारी की वजह से कोरोना कर्फ्यू में खाने पीने को परेशान हो रहे लोगों को खाने खिलाने के बीड़ा उठाया। और महज कुछ लोगों से इस काम की शुरुआत की पचास लोगों से कब 250 से 300 लोग हो गए पता ही नहीं चला। इनकी टीम दोनों टाइम गरीबों जरूररमंदों तक तक पहुंचकर खाने खिलाने के काम करती है सभी सेवा भाव से इसमें जुटे हैं। शहर के प्रमुख मंदिरों, मजार, और जहां जहाँ भी जरूरत मंद लोग मिलते हैं उन तक खाना पहुंचाया जाता है यही नहीं पुलिस को पानी देने के अलावा खाना खिलाते हैं। अभिलाष शालू सेंगर बताते हैं कि शुरुआत में घर वालों से छिप छिपकर इसे शुरू किया था लेकिन जब पिता को पता चला तो उनके बेटे के हाथों पैसे भिजवाए जब लोगों को पता चला तो कई लोगों ने मदद के लिए पैसा देना शुरू किया। जो इसी काम मे लगाया जाता है। जानकारी के मुताबिक शालू इस काम को आगे भी जारी रखना चाहते हैं।