एमपी के बैतूल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की महत्वाकांक्षी योजना दीनदयाल रसोई पर महंगाई की मार देखने मिल रही है। जहाँ गरीबों के भोजन में कटौती हुई है। जरूरतमंदों को भरपेट भोजन देने की सरकारी योजना अब महंगाई की भेंट चढ़ने लगी है। दीनदयाल रसोई में अब गरीब ज्यादा रकम चुकाने के बावजूद पेट की आग नही बुझा पा रहा है। नगरीय प्रशासन विभाग के एक आदेश ने तो मुश्किलें और बढ़ा दी है। आदेश में प्रति व्यकि सिर्फ 40 ग्राम चावल और 160 ग्राम गेंहू दिए जाने का प्रावधान कर दिया गया है।
इससे गरीब का पेट भरना तो मुश्किल है ही सरकार की मंशा भी पूरी नही हो सकेगी। बैतूल में चलाई जा रही सरकारी रसोई में भी आलम यही है। यहां पहले दानदाताओं की मदद से चल रही रसोई में जरूरतमंदों को सिर्फ 5 रु में भर पेट भोजन मिलता था। लेकिन बीते छह महीनों से यह जिम्मा भौपाल के एनजीओ श्रेयष एजुकेशन एंड वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन को सौंप दिया गया है। यह एनजीओ अब 10 रु में पांच रोटी,चावल ,दाल, सब्जी देता है। आमतौर पर मजदूर पेशा गरीब ये रकम चुकाकर खाने के पैकेट तो ले लेते हैं। लेकिन इससे उनकी खुराक पूरी नहीं होती।
नगरीय प्रशासन विभाग के आदेश में जिसमें प्रति व्यक्ति 160 ग्राम गेंहू और सिर्फ 40 ग्राम चावल देने का फरमान जारी कर दिया गया है। जाहिर सी बात है की इतने चावल से किसी बच्चे का पेट भी भरना मुश्किल है। रसोई चलाने वाले पहले से ही महंगाई और सुविधा के न मिलने से परेशान है। तो नए आदेश से वे पशोपेश में है। यहां भोजन करने वाले मजदूर से लेकर रसोई चलाने वाले तक इसे नाजायज ठहरा रहे है। जबकि अफसर इस गलती को सुधारने के लिए सरकार को चिट्ठी लिख रहे है।
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