सागर में प्रदेश का दूसरा महाकाल मंदिर, पुष्य नक्षत्र में हुआ निर्माण || SAGAR TV NEWS ||


 

उज्जैन महाकाल मंदिर की तर्ज पर सागर से 25 किमी दूर स्थित ग्राम खैजरा में हूबहू महाकाल मंदिर बनाया गया है। जिसे बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर नाम दिया गया है। खास बात यह है कि मंदिर में भगवान का गर्भगृह उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह की प्रतिकृति है जो भी भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचता है वह चौंक जाता है।
गर्भगृह में जरा भी आभास नहीं होता है कि वह महाकाल मंदिर में नहीं है। क्योंकि मंदिर हूबहू महाकाल मंदिर की तरह ही बनाया गया है। मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर का निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही हुआ है। 9 सालों में 108 पुष्य नक्षत्र में बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर बनकर तैयार हुआ है। मंदिर के शिखर पर महाकाल मंदिर की तरह ही नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है, जो सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खोला जाएगा।
मंदिर के पुजारी पं. महेश तिवारी ने बताया कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में विराजे शिवलिंग की हूबहू प्रतिकृति की स्थापना की गई है। गर्भगृह भी महाकाल मंदिर के गर्भगृह की काफी है। मंदिर में शिवलिंग, प्रवेश व निकास द्वार, दिशा, डिजाइन व वास्‍तुशास्‍त्र में महाकाल मंदिर जैसे ही तैयार किया गया।
आगे उन्होंने बताया कि वर्ष 1904 से हमारे पूर्वज पंडित शिवराम तिवारी ने गांव में दरबार लगाना शुरू किया था। काल भैरव की स्थापना की थी। तभी से परिवार भगवान महाकाल से जुड़ा हुआ है और पूजा-अर्चना करते आ रहा है। इस समय मैं चौथी पीढ़ी में भगवान महाकाल की सेवा कर रहा हूं। सागर में हूबहू महाकाल मंदिर बनाने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में गरीब तबके के ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो भगवान महाकाल के दर्शन नहीं कर पाते हैं। यदि कोई पहुंच भी जाए तो वहां गर्भगृह में इच्छानुसार दर्शन नहीं कर पाता है। ऐसे भक्तों के लिए खैजरा में भगवान महाकाल की प्रतिकृति की स्थापना की गई है। ताकि भक्त यहां आकर भगवान महाकाल के दर्शन कर सकें। दर्शन के दौरान उन्हें अहसास हो की वह उज्जैन में ही भगवान महाकाल के दर्शन कर रहे हैं


By - Sagar tv news

10-Oct-2022

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