मप्र सरकार पर तीन लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज, क्या बंद होंगी योजनाएं?
मध्यप्रदेश की सरकार लगातार कर्ज में डूबती जा रही है। हालत यह हो गए हैं कि मोहन सरकार रोजाना 200 करोड़ का कर्ज ले रही है। कर्ज की स्थिति 3 लाख करोड़ से उपर पहुंच गई है। इस कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए ही सरकार ने 12 हजार करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया है। बीजेपी सरकार ने पिछले एक साल में ही 35 हजार करोड़ से ज्यादा कर्ज लिया है। फिलहाल इस कर्ज से मुक्ति का कोई उपाय दिखाई नहीं दे रहा है। बढ़ते बोझ के बीच अब लोकसभा चुनाव नजदीक आ गए हैं। ऐसे में सरकार के पास योजनाओं में कटौती का विकल्प भी फिलहाल नहीं है। एमपी की नई नवेली मोहन सरकार को प्रदेश चलाने के लिए रोजाना 200 करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ रहा है। प्रदेश की हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। पुरानी योजनाओं का संचालन और संकल्प पत्र की घोषणाएं कर्ज से पूरी हो रही हैं। हालांकि मप्र के
मुख्यमंत्री मोहन यादव लगातार कह रहे हैं कि बजट की कोई कमी नहीं है। पूर्व से चली आ रहीं योजनाओं में किसी तरह की कटौती नहीं होगी। बालाघाट में भी उन्होंने दोहराया है कि प्रदेश में पैसे का कोई संकट नहीं है, सारी योजनाएं चलेंगी और इस बार लाड़ली बहना योजना की किस्त 10 की जगह 1 मार्च को खातों में आएगी। उन्होंने जुलाई में बजट मिलने की बात भी कही। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में संकल्प पत्र को मोदी की गारंटी नाम दिया है। मोहन यादव जनसभा में इसी मोदी की गारंटी की बात करते हैं। इन 2 महीनों में मोहन सरकार साढ़े 12 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। यानी रोजाना करीब 200 करोड़ का कर्ज। हाल ही में सरकार ने 5 हजार करोड़ का कर्ज फिर लिया है। इस कर्ज की चिंता का भाव फिलहाल सरकार के माथे पर नजर नहीं आ रहा है। हांलाकि कांग्रेस लगातार कर्ज पर सवाल उठा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सवाल उठाया कि आखिर इतने कर्ज का पैसा खर्च कहां हो रहा है ये दिखाई नहीं देता। जीतू ने कहा कि सरकार के पास संकल्प पत्र पूरा करने का पैसा ही नहीं है। बीजेपी ने ये झूठी गारंटी ली है और उस गारंटी पर सरकार बनाई है। बढ़ते बोझ तले दब रही सरकार कर्ज से कब मुक्त होगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।